शार्लोट (USA) – रेखा भाटिया
महामारी का दौर है , सारा विश्व इस समय एक बड़ी चुनौती से गुज़र रहा है। एक ऐसी विपदा जिसने सम्पूर्ण विश्व के लीडर्स को हिला कर रख दिया है। कोरोना बड़ा ही स्मार्ट है ,विश्व के इतिहास में सबसे बड़ा रायता फैलनेवाला शेफ़। ऐसे -ऐसे आईडिया निकलता है लोगों को बीमार करने के कि डॉक्टर्स ,वैज्ञानिक सब परेशान हैं , सबके दिमाग का दही जम गया है। हर रोज नए-नए लक्षण , शरीर के अंगों में ऐसा घुस के रायता फैलाता है कि कोई चांस नहीं देता है । रायता निकलता नहीं और आदमी निकल पड़ता है। इस समय में सर्किट की शादी हो चुकी है और मुन्ना भाई कुंवारा है। फिल्म है विधु विनोद चोपड़ा की मुन्ना भाई की दुल्हनिया -४। अभी मुन्ना भाई के खाने पीने का बंदोबस्त सर्किट ही करता है , सर्किट की बीबी मुन्ना भाई के लिए भी खाना बनाती है। लॉकडाउन के टाईम घर बैठे लगता है कि पति लोगों का दिमाग किधर चलता है ,खुद दुनिया के डायरेक्टर को भी पता नहीं। पहली महामारियों में सेल फोन ,इंटरनेट आदि का अविष्कार आदमी ने किया नहीं था, तो कैसे पता होगा ?
मुन्ना भाई ने लॉक डाउन में अभी वसूली से थोड़ा ब्रेक लिया था। कल का दिन वसूली के लिए बहुत बढ़िया था। सरकार ने शराब की दुकान में थोड़ी देर के लिए छूट दिया था ,दूकान के बाहर बहुत लम्बी लाइन थी , इतना तो राशन की दुकान में भी नहीं थी जब सरकार चावल, आटा बाँट रही थी , उधर राशन कार्ड लगता है, इधर सिर्फ पैसा -रोकड़ा। मुन्ना भाई और सर्किट को कल अच्छा पैसा भी मिला और दारू की दुकान से दारू भी। सर्किट और मुन्ना ने कल रात साथ बैठ दारू पिया ,सर्किट की थोड़ी ज्यादा हो गयी थी। मुन्ना को सुलाकर सर्किट पास ही अपने घर पर वापस आ गया था । “माटी मेलिया ,आ गया सोने दे। ” सर्किट की किस्मत आज अच्छी थी , बीबी सो गयी थी। सुबह सर्किट को अभी भी रात की थोड़ी चढ़ी हुई थी ,देर तक सो रहा था। उधर मुन्ना भाई भी सो हीच रहा होगा। सर्किट को भाई की याद आयी और सर्किट धम्म से उठ गया। भाई को फ़ोन लगाया ,भाई ने फ़ोन नहीं उठाया ,भाई सो रहा है अभी। सर्किट की जान में जान आयी ,जल्दी -जल्दी उठ सर्किट मुँह धोने गया , उसे बहुत जोरों की भूख लगी है। किचन से बढ़िया खाने की खुशबू आ रही है।
” एकदम झकास ! लगता है आज अपनी आइटम ने कुछ बढ़िया पकाया है स्पेशल वाला। ” सर्किट की भूख और बढ़ गयी । आँखों में रात के तारे अभी भी चमक रहे हैं। सर्किट आ गया खाना खाने के लिए । बीबी ने उसकी तरह देखा ,” ऐसे क्या देख रही है ? क्या मेरे को फ्राई कर के कढ़ी में डालना बाकी है ,खाना दे ना ? बहुत जोरों का भूख लगा है। अभी भाई भी बुलाता होएंगा ? चल जल्दी कर ? ऐ दे ना बहुत मस्त खुशबू आ रिया है ?”
” माटी मेलिया ! तेरे को मैं बेलन देती है। किधर था तू कल रात को ? ” बीबी ने बेलन उठाया है।
” ऐसा मत बोल जानू ! देख लग जाएगी ? वो तो अपन थोड़ा कल रात भाई के साथ। थोड़ा ज्यादा हो गया ना , पर क्या करें इतना दिन घर बैठ कर दिमाग का दही जम गया। साला ये डॉक्टर और साइंटिस्ट पता नहीं क्या करता है ? सरकार इतना पैसा देता है फिर भी कुछ नहीं करता ? अपुन को दिया होता तो कोरोना को कब का टपका दिया होता। अब उधर भाई भी अकेला है तो भाई को कंपनी देने के लिए थोड़ा बहुत ! आई शपत ,तेरी कसम जानू आगे से ऐसा नहीं होएंगा । ऐ खाना दे न मेरे को, पेट में चूहा लोग बहुत उछलकूद मचा रहा है साला !”
” ऐ साला कसम खायेगा वो भी मेरी ? तेरे भाई की खा न ?” सर्किट की आइटम झल्लायी।
” अरे अब भाई की कसम कैसे खा सकता है ? तू बुरा मान जाएगी कि भाई को तेरे से ज्यादा प्यार करता है। ऐ खाना दे ना ? भाई का फ़ोन आता ही होगा ?”
अभी मूवी का दूसरा सीन चल रहा है। सर्किट झूमता भाई के पास उसके घर पहुँचा है , उसकी हड्डियाँ ढीली हैं थोड़ी ,दर्द से चहेरा लटका। हाथ में टिफिन लटकाता जल्दी से भाई के पास आता है।
“अरे अब तेरे को क्या हुआ ? यह मुँह पर बारह क्यों बजे हैं या कल रात की उतरी नहीं ? अरे कहीं भाभी ने पलंग से धक्का तो नहीं मार दिया ?”
“अरे छोड़ो ना भाई ! उसकी तो हटेली है , आप खाना खाओ भाई ? अभी लगाता हूँ। ” सर्किट मुँह लटका कर बोला।
“अरे बोल ना ? क्या लफड़ा किया तू भाभी के साथ ?” मुन्ना भाई ने खाना ठूँसते हुए पूछा ,”अरे क्या मस्त खाना पकाया है ,क्या खुशबू है। जी करता है. …… “
“भाई-भाई बस इसके आगे कुछ मत बोलना? वरना , वो चंडी माँ सुन लेगी तो इधर को आ टपकेगी। अभी अभी वहीच लफड़ा हुआ है। ये लॉक डाउन में उसका लगता है दिमाग का लॉक डाउन हो गया है। खाना अपन को भी बहुत हीच पसंद आया ,अपुन ने थोड़ा तारीफ कर दिया कि आजा मैं तेरा हाथ चुम लेता है ,इतना अच्छा खाना बनाई तू। कितना अच्छा खाना बनाती है। वो एक शाहजहां था उसने ताजमहल बनाने वाले के हाथ ही काट दिए थे। अपन देख कितना अच्छा है तारीफ करता है और चूमने की बात करता है ,काटने की नहीं। भाई , तभी से साला अपने पीछे बेलन लेकर भागी और ऐसा धुनाई किया ,ऐसा धुनाई किया , इतना हड्डी मेरा ढीला किया, उतना हड्डी को अपन भी तोड़ने से पहले सोचेगा ? साला कल रात की सब उतर गयी ! अब मोदी भाई का दिमाग फिर घुमा और फिर से दारू का दुकान बंद कर दिया तो अपन तो गया भाई ? पता नहीं भाई मेरे को समझ में नहीं आया ऐसा क्या बोल दिया अपन ? ये औरत का दिमाग किधर चलता है ? अपन तो तारीफ ही किया था भाई ! यह अपना मोदी भाई पता नहीं कब लॉक डाउन हटाएगा ? बहुत पकाती है भाई। “
“अरे सर्किट ,तू सही बोला रे। साला लगता है तभी , तभी साला शाहजहां उसकी औरत के मरने के बाद उसके वास्ते ताजमहल बनाया ,पहले नहीं। ये औरत लोग का दिमाग किधर चलता है ? भाई भगवान को भी नहीं पता ? और तू फिर भी अपने वास्ते दुल्हनिया ढूँढने की बात करता है ? भूल जा भाई भूल जा ? ” मुन्ना भाई सोच में पड़ गए।
“अरे नहीं भाई ! ऐसे मत बोलो ? वो साला हीरो लोग कितना हीरोईन को दुल्हनिया बना कर लाता है। तू भी भाई किसी हीरो से कम है क्या ? अपुन भी लाएगा आपके वास्ते। पर भाई लॉक डाउन के बाद। लगता है औरत लोग की अभी हटेली है। मोदी भाई को बताना पड़ेगा यह समस्या। अरे भाई, वैसे एक बात तो बता तेरा कहीं और तो लफड़ा नहीं चल रहा जो तू अपुन से छिपाया ,नहीं बताया ? तभी दुल्हनिया लाने को मना करता है ? देख भाई हाँ ,संभाल ?”
आगे मूवी के और सीन लिखे जाने बाकि हैं ,अभी लॉक डाउन के कारण शूटिंग बंद करनी पड़ी।
क्या लॉक डाउन में सबका दिमाग सही चल रहा है ? कहने का तात्पर्य और मुख्य मुद्दा अगर उनकी बात करें वह भी मुन्ना -सर्किट स्टाइल में तो……….
समस्या ये है कि जो आप कहना चाहते हो ,बताना चाहते हो ? उसमें अपुन को कोई इंटरेस्ट नहीं ,आप जब भी मिलते हो साला अपनी समस्या ही समस्या बताते हो और उसे सुनने में अपुन को कोई इंटरेस्ट नहीं और जो कोई भी तुम्हारा समस्या है अपुन के पास कोई हल भी नहीं। तुम सिर्फ तुम्हारा समस्या बोलता है ,बोल कर ही छोड़ता है,हल तुमको चाहिए ही नहीं होता । अपुन बस मुंडी हिलाता है उधर से उठकर भागने को मन करता है। अपुन की भी समस्या हो सकती है ,तुमको लगता है अपुन को साला कोई समस्या ही नहीं है? अभी अपुन की भी बहुत हटेली है।

परिचय ,
रेखा भाटिया
जन्म इंदौर, मध्यप्रदेश में हुआ। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और समाज शास्त्र में स्नातकोत्तर । लेखन में छात्र जीवन से ही रुचि रही। भारत और दुबई में रहने के बाद वर्तमान में अमेरिका के शर्लोट शहर में रहती हैं।कई लेख ,कविताएँ ,लघु कहानियाँ ,कहानियाँ वेबदुनिया ,विभोम स्वर ,गर्भनाल ,हिंदी चेतना, प्रवासी भारतीय ,द कोर ,सेतु ,अनुसन्धान पत्रिका ,शिवना साहित्यिक में प्रकाशित। लेखन के अलावा चित्रकला , नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी। हिंदी में अनेक रेडियो कार्यक्रम प्रसारित हो चुके हैं

