बरतो एहतियात
मत निकलना घर से बाहर
देश-विदेश हैं खतरे में।
बरतो एहतियात हरपल
क्योंकि परिवेश है खतरे में।
अभिवादन करने के लिए
सिर्फ़ जोड़ना दोनों हाथ।
घड़ी है संकट की मित्रों
मिलकर सभी दो साथ।
कोरोना से जीत लेंगे
मिलकर हम सब जंग।
चलो रखें स्वच्छ वातावरण
रखें स्वच्छ वपु के हर अंग।
मुसीबत की इस घड़ी में वन
एहतियात से बचती जान है।
प्रबुद्ध मानुष, तुम जानते हो
कि जान है तो जहान है।
अपनी ओर से प्रयत्न करके
बचानी है हमको ज़िन्दगी।
ये जीवन अनमोल है यारों
रखनी है इससे दिल्लगी।
रचनाकार- अनुज पांडेय
