देश में मुश्किल घड़ी है , मान जाओ
मौत अब सिर पर खड़ी है , मान जाओ
मिलते-मिलते मिल न जाए आपसे भी
ये कोरोना की कड़ी है , मान जाओ
कौनसी वो चीज़ है जो आपकी इस
ज़िन्दगी से भी बड़ी है , मान जाओ
ज़िन्दगी है मौत के आगोश में अब
काम की तुमको पड़ी है , मान जाओ
अब रुकेंगे तो चलेंगे साथ फ़िर हम
आपको क्या हड़बड़ी है , मान जाओ
चारागर हैं चारागर , क्या पास उनके
कोई जादू की छड़ी है , मान जाओ
करके मानेगी नया श्रृंगार कुदरत
आज ये ज़िद पर अड़ी है , मान जाओ
जीत ली है हमने ‘ ज़ीनत ‘ जंग हर वो
साथ जो मिलकर लड़ी है , मान जाओ
योगिता ‘ ज़ीनत ‘