समाजसेवी व रघु सिन्हा माला माथुर ट्रस्ट के ट्रस्टी ,माही संदेश पत्रिका के संरक्षक/सलाहकार सुधीर माथुर की कलम से…
आज मेरी छोटी बहिन माला का जन्मदिवस है, जो कि मेरी सबसे करीब दोस्त भी है, उनके साथ बिताए हर पल यूं तो पल-पल मेरे साथ रहते हैं, आज जब सुबह तस्वीर पर फूल चढ़ाकर माला को जन्मदिवस की शुभकामनाएं दे रहा था तो ज़िंदगी के लम्हे फिर से आंखों के सामने जीवंत हो रहे थे। हम पांच भाई-बहिनों में सबसे छोटी थी माला लेकिन जिंदगी में वो हम सबसे बड़ी थी, उसकी हर बात हमारे लिए पत्थर की लकीर होती थी, उसका समझाना ऐसा था कि हर बड़ी से बड़ी मुश्किल का हल चुटकियों में निकाल लेती थी, जि़ंदगी को यूँ तो जी रहा था लेकिन जिंदादिली से जीना माला ने सिखाया, अपने हर जन्मदिन पर वो आमेर शिला माता मंदिर और दिल्ली रोड़ कूकस स्थित साईं बाबा मंदिर जाती थी, उसके जाने के बाद मैं हर बार उसके जन्मदिन पर जाता हूं लेकिन इस समय कोरोना संकट के कारण मंदिर बंद हैं तो पहली बार जाना नहीं हो पाया घर पर ही उसके लिए हमेशा की तरह भगवान से प्रार्थना की।
अपनी छोटी सी जिंदगी में माला बहुत काम कर गई, उसने जेट एयरवेज में रीजनल सेल्स मैनेजर (राजस्थान) के रूप में अच्छा काम किया, आज जब उसके जन्मदिन पर जेट एयरवेज में काम करने वाली सपना का फोन आया और उन्होंने कहा कि हम माला मैम को बहुत याद कर रहे हैं, उन्हीं में वो हिम्मत थी जो हमारे हितों के लिए हमेशा तैयार रहती थीं, जेट एयरवेज के सीएमड़ी नरेश गोयल भी उनकी बात को हमेशा सुनते थे, सपना फोन पर भावुक होते हुए बोली अगर आज माला मैम होती तो वो जेट एयरवेज की तरक्की को बहुत बढ़ा देतीं, खुद जेट एयरवेज के सीएमडी नरेश गोयल जी ने कहा था कि माला की जगह जेट एयरवेज में कोई नहीं ले सकता।
वर्ष 2005 में जब माला का कैंसर का इलाज मुंबई में चल रहा था तब भी उसने कभी महसूस नहीं होने दिया कि वह बीमार है, हम इलाज के लिए जाते तो वह इस तरह से व्यवहार करती थी जैसे हम शॉपिंग करने या घूमने जा रहे हैं, आज के 15 वर्ष पहले की बात याद करते हुए आंख भर आती है कि माला का मेरे प्रति इतना स्नेह था कि मुंबई में कैंसर के इलाज के दौरान उसका यह कहना कि तुम मुंबई में लंदन बर्बरी के शो रूम से टी शर्ट लेकर आओ, उस वक्त उस एक टी शर्ट कीमत 5000 रुपए थी, मुझे लगता था कि ये तो बहुत महंगा है लेकिन वो कहती कि तुम्हारा बर्थडे आ रहा है तुम्हें यह पहनना ही है, उसके द्वारा दी गई टीशर्ट टाइटन की घड़ी आज भी उसको मेरे पास मेरे साथ रखती हैं, माला और मेरा जन्मदिन जून मेें ही आता है।
उस वक्त जब भैंरो सिंह शेखावत जी उपराष्ट्रपति थे तब माला की तबीयत खराब रहती थी जब भी भैंरोसिंह शेखावत जी जयपुर आते चाहे दस मिनट के लिए घर आते लेकिन माला से मिले बिना नहीं जाते थे, ये उसकी अच्छाई ही थी जो इतने लोगों को स्नेह पूर्वक जोड़े रखती थी…
जो माला मन में ठान लेती थी उसे करके ही मानती थी, हमारी जि़ंदगी का वह मैनेजमेंट गुरु थी जो हमें मैनेजमेंट सिखाकर भगवान के पास चली गई, आज भी माला और मेरे मामा रघुसिन्हा जी का आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ है, ये हर पल मेरे साथ रहते हैं, जि़ंदगी से शरीर भले ही दूर हो जाएं लेकिन मन की शक्ति मन का जुड़ाव हमेशा बना रहता है और यह जुड़ाव ही हमें जीना सिखाता है…
माला माथुर की स्मृति में किए गए कार्य
हमने रघु सिन्हा माला माथुर ट्रस्ट के जरिए एमजीड़ी स्कूल के सहयोग से माला की स्मृति में एक पुस्तकालय का निर्माण किया, इसके साथ-साथ आगरा रोड पर स्थित 52 फीट हनुमान जी की मूर्ति के पीछे श्री शंकर सेवा धाम संस्थान में मई 2019 में माला और मामा जी रघुसिन्हा जी की स्मृति मेें वृद्धाश्रम के लिए पांच कमरों का भी निर्माण कराया गया। वर्ष 1979 एमजीडी बैचमेट एक बुक पब्लिश कर रहे हैं जो कि माला के बैचमेट हैं ,
उस आने वाली किताब को भी रघु सिन्हा माला माथुर ट्रस्ट के सहयोग से प्रकाशित किया जा रहा है। समय समय पर रघुसिन्हा माला माथुर ट्रस्ट के जरिए विभिन्न सामाजिक कार्य किए जाते हैं।