वर्धमान से महावीर
बचपन बीता राज महल में
पलकर बने फकीर
कठिन तपस्या करके जिसने
बदली अपनी तकदीर।
सभी इंद्रियों को वश में करके
पाया जिसने केवल ज्ञान
जीव मात्र की रक्षा हित ही
लगाया जिसने अपना ध्यान।
जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर
कहलाए महावीर भगवान
सत्य अहिंसा का प्रचार कर
सब लोंगो को दिया ज्ञान।
उनकी शिक्षाओं का होता
पूरे विश्व मे ही गुणगान
वर्धमान से महावीर बनकर
कर गए वह कार्य महान।
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राजकुमार जैन राजन
चित्रा प्रकाशन
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