ज़िंदगी की भागदौड़ में मनुष्य स्वयं को ही भूल जाता है या भूलने लगता है ।उसे दूसरों की ही परवाह करने से भला कहाँ फुर्सत मिल पाती है।कभी-कभी तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि मनुष्य विचार करने लगता है कि कहीं वह भाग जाए ,ऐसी दुनिया में जहाँ उसे तनावग्रस्त करने वाला कोई भी ना हो। वह हँसना चाहता है, खिलखिलाना चाहता है ,निखरना चाहता है ।
और कुछ मनुष्य तो ऐसे स्वभाव के होते हैं कि वह स्वयं से बातें करने के लिए वक्त तलाशने लगते हैं।
अभी का समय वही समय है ,जब आपके पास पर्याप्त समय है स्वयं को निखारने के लिए ,तराशने के लिए और तो और क्षीण हो चुकी ऊर्जा शक्ति को पुनर्जीवित करने के लिए।
कोरोना वायरस से मची तबाही के चलते आज चारों तरफ, हर देश चिंताग्रस्त है और वहीं हमारे देश के प्रधानमंत्री ने अपनी सूझबूझ से देश के हर एक घर को आइसोलेट कर दिया है ।इसमें दुःखी होने की कोई आवश्यकता नहीं ,अपितु हमें अपना पूर्ण सहयोग अपने देश को बचाने के लिए करना चाहिए ।
क्या हुआ गर कि हम घर में हैं ,यह तो वह प्यारा पल है जब हम अपने परिवार वालों को भरपूर समय दे सकते हैं। हर किसी के अंदर कोई ना कोई प्रतिभा जन्म से ही विद्यमान होती है, दूसरे शब्दों में एक शौक.. जो उसका पागलपन ..जुनून भी आगे चल कर बन सकता है। ज़िंदगी की भागमभाग में मनुष्य शौक क्या ..स्वयं को ही भूलने लगता है। यदि हम अपने शौक को जीवन भर जीवित रखे तो इससे ज़िन्दगी कितनी खूबसूरत व आकर्षक हो जाएगी ,जिसको इसका एहसास है.. वह शौक को जीना नहीं छोड़ते। वह हर लम्हा जीते हैं शौक को ।
मेरा भी एक शौक है लिखना..या यूँ कह लूँ पागलपन। मैं लिखती रहती हूँ अपनी डायरी पर ..जब तक कि मुझे तृप्तता ना मिल जाए और अभी के इक्कीस दिन ..इस तनावग्रस्त ज़िंदगी में….शौक के साथ भरपूर है जीने के लिए, साथ ही जो अधूरे काम कुछ महीनों से पड़े हुए थे उन्हें भी भरपूर समय मिल गया है पूरा करने को ।और यह सब कुछ मैं स्थिर मन से कर भी पा रही हूँ।
अद्भुत आनंद मिलता है शौक को जीने में ।
खोजो अपना शौक ,जो दबा है सीने में।।
——- ——– ——-
गर वास्तव में ज़िंदगी जीनी है..
शौक को मरने मत दीजिये।
——- ——– ———
ज़िन्दगी जीयूंगा कल से,
आज थोड़ा सा काम कर लेने दो।
लूंगा फुर्सत की अँगड़ाइयाँ
थोड़ा सा इत्मीनान कर लेने दो।”
बेकार की हैं ये बातें..
जोड़ते रहो न..हर पल हँसी यादें।
क्यों करना भला इंतज़ार कल का,
जब आज ही खड़ा रहेगा हमेशा सामने।

