बहुत बार सुनने में आया है कि अध्यापक थोड़े स्वभाव से पैसा खर्च करने टाइट होते हैं मगर आपने यह भी सुना होगा कि पांच उंगलियां एक जैसी नहीं होती हैं।
जी हां आज बात करने जा रहा है एक ऐसे सरकारी अध्यापक ज़ाकिर हुसैन की जो पश्चिम बंगाल राज्य के हुगली जिला के चांपदानी कस्बे के वासिंदा हैं । दिल के दरिया इस अध्यापक ने सिर्फ स्कूल में ही नहीं बल्कि इससे बाहर समाज में भी इनका बहुत बड़ा योगदान रहता है।
जैसे हर साल गरीब विद्यार्थियों का एडमिशन कराना और किताबे मुहैया करा के देते हैं हर साल 50 बच्चो को स्वेटर और जूते मुहैय्या करते हैं हर साल अंधे बच्चो के स्कूल में धन राशि का दान देते हैं ।
पिछले साल ही एक बूढ़ी औरत की जवान बेटी थी जिसकी शादी करने के लिए उसके पास पैसा नहीं था जब इन्होंने सुना तो अपने बैंक में से सारे पैसे निकाल कर उस बहन कि धूमधाम से शादी करवाई।
इस महान दानी अध्यापक और इनके विद्यार्थियों ने साथ में मिलकर इस कोरोना महामारी के समय सभी जरूरतमंदो को बिना किसी भी तरह का कोई हिन्दू मुस्लिम भेदभाव ना करते हुए सभी को राशन दिया और मेडिकल किट बांटी । हर रात सैकड़ों लोगों को खाना खिलाया । यह कभी भी सोशल काम का कोई हिंदू मुस्लिम में भेदभाव नहीं करते ।यह सोशल काम करते और दान देते समय फोटो खीचने और फोटो खिचवाने के विरुद्ध है । क्यूंकि इनका कहना है कि दाएं हाथ से दान करो तो बाएं हाथ को पता ना चले ।अब यह वाक्य सच होते दिख रहे हैं कि इंसान में ही भगवान होता है।