
राज बंसल बताते हैं कि मेरे दादाजी दुर्गादास जौहरी ज्वेलर्स व्यवसायी थे लेकिन पिता ओ.पी. बंसल जी की अभिरुचि फिल्मों में होने के कारण उन्होंने मुंबई का रुख किया और फिल्म वितरक के रूप में नागिन फिल्म से काम आरंभ किया जो कि अब हमारे पुश्तैनी काम के रूप आज दुनिया भर के सामने है। एक बात मैं यकीन के साथ कह सकता हूं कि यदि आप सच्ची मेहनत करते हैं और ईश्वर पर विश्वास रखते हैं आप हमेशा सफल रहेंगे।
राज बंसल के पिता ओ.पी. बंसल को फिल्म इंडस्ट्री में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए जनवरी 2008 में दादासाहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
जब बढ़े कदम
अपनी पढ़ाई के दौरान ही राज बंसल ने फिल्म वितरक के रूप में अपने पुश्तैनी बिजनेस में पिता ओ.पी. बंसल के साथ हाथ बंटाना आरंभ कर दिया था। जब उन्होंने इस बिजनेस की बारीकियां सीखना आरंभ किया तब महज उनकी उम्र 16 वर्ष थी। अपने पिता ओ.पी. बंसल के नेतृत्व में वर्ष 1954 में स्थापित जय पिक्चर्स के जरिए कई सुपरहिट फिल्में राजस्थान के सिनेमा प्रेमियों को दीं, ये सिलसिला अभी तक जारी है।
खास बात यह है कि काम के साथ-साथ पढ़ाई को भी राज बंसल ने बराबर जारी रखा और बी.कॉम कर फिर एलएलबी की पढ़ाई पूरी की। राज बताते हैं कि त्रिपोलिया बाजार स्थित अपने ऑफिस में आरंभ के दिनों में लोहे के बॉक्स में फिल्मों की रील आती थीं, उन पर लेबल चिपकाने का भी काम मैंने किया है, सही मायनों में काम का प्रशिक्षण यहीं से आरंभ हुआ। जब तक आप अपने काम की बारीकियां नहीं सीखेंगे आप अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे सकते हैं।

राज कहते हैं कि हमारी फिल्म वितरण की कंपनी ने मल्टीस्टारर फिल्म बजरंगबली वर्ष 1976 में खरीदी, यह उस जमाने की पहली मल्टीस्टारर धार्मिक फिल्म थी। इसके बाद वर्ष 1980 में हमने सुभाष घई की फिल्म कर्ज खरीदी। यह सुभाष घई की उनके प्रोडक्शन हाउस से बनी पहली फिल्म थी। इसके बाद सुभाष घई की सभी फिल्में हमें ही मिली। इस दौर में सुभाष घई, यश चोपड़ा,राजकुमार संतोषी, गुलशन रॉय , धर्मेंद्र ,शाहरुख़ खान, करण जोहर आदि फिल्म निर्देशकों / निर्माताओं के साथ हमने बेहतरीन काम किया और साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म का रिकॉर्ड भी लगातार बीस वर्षों से कायम किया हुआ है। ऐसी कई फिल्में हैं जिन्होंने बेहद नाम कमाया उनमें कर्ज,हीरो, आँखे घातक, गदर, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे, खलनायक, कुछ कुछ होता है, दिल तो पागल है, कभी ख़ुशी कभी गम ,लम्हे, धूम, हम ,कच्चे धागे ,सुल्तान, टाइगर ज़िंदा है, आदि प्रमुख हैं। भारत के टॉप फिल्म निर्देशक पुराने समय से लेकर आज भी हमसे जुड़े हुए हैं।
समय प्रबंधन और ज़िन्दगी को जिंदादिली से जीने को लेकर अभिनेता ऋषि कपूर, फिल्म निर्देशक यश चोपड़ा,अजय देवगन, संजय दत्त, सलमान, शाहरुख, अभिषेक बच्चन सहित कई शख्सियतों का जिक्र राज बंसल ने मुलाकात के दौरान किया।

बढ़ते जाना है…
राज बंसल कहते हैं कि पढ़ाई के दौरान एयरफोर्स पायलट बनना मेरा सपना रहा लेकिन जब से फिल्म इंडस्ट्री के बिजनेस में कदम रखा, पिता को लगातार 18 से 19 घंटे काम करते देखा तो लगा कि पिता के साथ काम में हाथ बंटाकर जीवन का हर सपना साकार कर सकते हैं। पिता के बताए रास्तों पर चलकर जो कुछ भी हासिल हुआ है वह बहुत बेशकीमती है। पिताजी कहा करते थे कि हमेशा लंबी रेस का घोड़ा बनो और हमेशा समय के पाबंद रहो। अगर आप समय की इज्जत करेंगे तो समय आपकी इज्जत करेगा।
अटल बिहारी वाजपेयी और अब्दुल कलाम का जीवन एक आदर्श है जिसे हमें अपने जीवन में अपनाना चाहिए। राज कहते हैं कि आज की तारीख में ऐसा कोई फिल्म वितरण का दफ्तर नहीं है जो कि पिछले 66 वर्षों से निरंतर काम कर रहा है। हम वर्ष 1954 से वर्तमान समय तक निरंतर काम रहे हैं। मेरे साथ मेरे छोटे भाई सुनील बंसल भी इस पुश्तैनी बिजनेस को संभालते हैं। आगामी समय में कई प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है जिसमें राजस्थान के विभिन्न शहरों में मल्टीप्लेक्स व होटल बनाने की योजना है।
कविता-गीत-गज़ल-कहानी लिखना है पसंद
राज बंसल को कहानियां, कविता, गीत, गज़ल आदि लिखने का शौक है। इसके अलावा इनके पास तकरीबन 15000 तस्वीरों का संग्रह है। जयपुर में आई बाढ़ के दौरान कई बेशकीमती काव्य संग्रह पानी से खराब हो गये, लेकिन कहते हैं न कि जब इरादे मजबूत हों तो सब कुछ मुमकिन है। वर्ष 1983 में राज बंसल की लिखी हुई कविताओं की किताब ‘नवेली’ प्रकाशित हुई। इस किताब में जीवन का दर्शन और यथार्थ है। अब तक इस किताब के पांच संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं जो कि राज प्रकाश बंसल का एक कवि के रूप में चर्चित होना बयां करता है।
नवेली में प्रकाशित पहली कविता की पंक्तियां
इस सफर पर सभी लोग
रवाना हो रहे हैं
रेल से साथ साथ
श्रेणियां भिन्न-भिन्न हैं
अंतर है अमीरी और गरीबी का
परन्तु एक अंतिम सफर
अभी बाकी है
हां सभी को जाना है
एक ही श्रेणी में
क्योंकि
वहां कोई अंतर नहीं होता
अमीरी और गरीबी में।

युवाओं को संदेश
राज बंसल कहते हैं कि मेहनत से कभी जी मत चुराओ,सकारात्मक सोच रखें व हमेशा न सुनने की आदत बनाओ, ये न सुनने की आदत ही आपको अपने लक्ष्य के प्रति और जागरूक बनाएगी। अगर आप शिद्दत से काम करते हैं तो आप यकीनन अपना लक्ष्य प्राप्त करेंगे।