आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान द्वारा आयोजन
जयपुर, 22 मई। आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान द्वारा शनिवार को वरिष्ठ सिविल सेवक के साथ ऑनलाइन चर्चा का आयोजन किया गया। उन्होंने आईएएस लिटरेरी सेक्रेटरी, आईएएस एसोसिएशन, राजस्थान, श्रीमती मुग्धा सिन्हा के साथ चर्चा की। इस दौरान दोनों ने डॉ. ओम की किताब ‘कैलाश मानसरोवर यात्रा- आस्था के वैचारिक आयम’ पर चर्चा की। डॉ. हरि ओम ने ‘यात्रा’ पर जाने के बारे में, यात्रा के दौरान हुए अनुभवों, यात्रा के बाद जो उनके व्यक्तित्व में बदलाव आया और यात्रा को पूरा करने के लिए आवश्यक मानसिक और शारीरिक फिटनेस के बारे में जानकारी साझा की। चर्चा के दौरान डॉ. ओम ने कई मधुर गज़लें भी सुनाईं। कार्यक्रम का आयोजन आईएएस लिटरेरी सोसायटी, राजस्थान के फेसबुक पेज पर किया गया था।
‘कैलाश यात्रा’ पर जाने का विचार उनके मन में कैसे आया, इस बारे में बात करते हुए, डॉ ओम ने कहा कि जब वह छोटे थे तो वह हमेशा भगवान की पूजा में लगे रहते थे। बड़े होने के साथ रीति-रिवाज पीछे छूट गए लेकिन अपने संस्कारों को वे कभी नहीं भूले। एक सहकर्मी ने उन्हें यात्रा पर जाने के लिए मनाया। उन्होंने इस यात्रा की कठिनाई के बारे में नहीं सोचा और केवल इससे जुड़े रोमांच पर ध्यान लगाया। उनके पिता हमेशा उन्हें ‘शिवालय’ पर लिखने के लिए कहते थे और ‘यात्रा’ के बाद उन्हें लगा कि वे ऐसा कर सकते हैं। उन्होंने एक साल के शोध के बाद पुस्तक लिखी और उस पुस्तक में अपनी ‘यात्रा’ के अपने अनुभवों को भी साझा किया।
उन्होंने कहा कि उनके रास्ते में कुछ खास जगहों का दौरा करने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि भारत कितना अधिक विकसित है। उदाहरण के तौर पर, जब वह नेपाल एयरपोर्ट पर थे तो यह देखकर हैरान हो गए कि वहां न तो कोई उचित सुरक्षा व्यवस्था थी, न रोशनी और न ही पंखे काम कर रहे थे। बैगेज चेक समेत सब कुछ मैनुअली किया जा रहा था। यहां तक कि बोर्डिंग पास भी हाथ से लिखे हुए थे। रक्षास्थल के बारे में मिथकों को दूर करते हुए उन्होंने कहा कि लोगों ने उन्हें बताया कि पक्षी वहां पानी नहीं पीते हैं, लेकिन उन्हें वहां पानी पीते हुए कई पक्षी मिले। रक्षास्थल की पूजा भले ही हिंदू नहीं करते, लेकिन बौद्ध, जैन और स्थानीय आदिवासी बॉन धर्म के लोग उस जगह की पूजा करते हैं। उन्हें मानसरोवर में भी कई पक्षी मिले।
डॉ. ओम ने आगे कहा कि, ‘कैलाश यात्रा’ हमारी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की परीक्षा है। यह आपको अपनी जरूरतों को पीछे छोड़कर, सौहार्द सिखाता है। इसने मुझे नम्र बनाया और मुझे विनम्रता सिखाई। एक ‘मैराथनर’ की शारीरिक फिटनेस, जो कि उनकी सहनशक्ति है, यात्रा के लिए अच्छी होती है। यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपको रक्तचाप, मधुमेह या हृदय संबंधी कोई भी बड़ी बीमारी नहीं है। यह शुद्धिकरण, समाजीकरण और प्रकृति को जानने की यात्रा है।
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Photo Caption: (From L-R) Senior civil servant, Dr. Hari Om in conversation with IAS Literary Secretary, IAS Association, Rajasthan, Ms. Mugdha Sinha on the Facebook page of the IAS Literary Society, Rajasthan today.