समाज को समर्पित समाजसेवी सुधीर माथुर
महज नौ वर्ष की उम्र में सिर से पिता का साया उठ गया, पिता स्व. केप्टन महाराज बिहारी माथुर, रेलवे पुलिस फोर्स में नौकरी करते थे जब उन्नीस वर्ष के हुए तो मां प्रेमा माथुर भी भगवान को प्यारी हो गर्इं, बचपन में अपने मामा स्वर्गीय रघु सिन्हा के लालन-पालन में जीवन को आगे बढ़ाया, जिन्होंने मां-बाप से बढ़कर इन्हें अपना समय व स्नेह भरा आशीष दिया। सुधीर माथुर आज एक ऐसी शख्सियत हैं जो समाज के असहाय लोगों के लिए प्रयत्नशील हैैं। सुधीर माथुर न केवल जयपुर में बल्कि कश्मीर तक भी समाज सेवा की अलख जगा रहे हैं।
माही संदेश राष्ट्रीय पत्रिका के प्रधान संपादक रोहित कृष्ण नंदन की समाजसेवी सुधीर माथुर से विशेष बातचीत…
सुधीर माथुर का जन्म 19 जून 1958 को गोविंद की नगरी जयपुर में हुआ। इनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर से हुई इसके बाद राजस्थान महाविद्यालय से अर्थशास्त्र में ऑनर्स किया। पढ़ाई के बाद जब बारी नौकरी करने की आई तो सुधीर ने आईटीसी कंपनी को चुना, वर्ष 1982 में आईटीसी में नौकरी करते हुए ही एमबीए किया, राजस्थान के अलावा हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड आदि राज्यों में काम करते हुए सफलता दर सफलता कई मुकाम हासिल किए और वर्ष 2018 में आईटीसी से ही सेवानिवृत्त हुए।
काम से मिली पहचान
चाहे आप नौकरी कर रहे हैं या खुद का व्यवसाय, जब तक आप पूर्ण समर्पित भाव से काम नहीं करेंगे आपकी पहचान नहीं बनेगी, इस बात का अनुसरण करने वाले सुधीर माथुर का जीवन लोगों के लिए प्रेरणा है, सारी जिंदगी एक कंपनी में काम किया और अपनी उल्लेखनीय पहचान बनाई। खास बात यह है कि नौकरी के दौरान भी समाज सेवा के काम से जुडे रहे और अब वर्तमान में नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद अब असहाय और जरूरत मंद लोगों को बेहतर बनाने की ओर अग्रसर हैं। सैकड़ों सम्मान इन्हें अपने जीवनकाल में प्राप्त हो चुके हैं और निंरतर हो रहे हैं, जयपुर राजघराने की ओर से समाज सेवा में उत्कृष्ठ योगदान के लिए इन्हें राजा दूल्हे राय सम्मान 2016 प्रदान किया गया।
पालतू डॉग्स से बेहद लगाव
जैसे ही हमने देश के मशहूर चित्रकार चन्द्रप्रकाश गुप्ता के साथ समाजसेवी सुधीर माथुर के घर में प्रवेश किया तो पालतू डॉग्स ने बेहद मिलनसार भाव से हमारा स्वागत किया, आज जानवर वो भाषा समझ रहे हैं जो इंसान भूलता जा रहा है, समाजसेवी सुधीर माथुर का लगाव व स्नेह भरी देखभाल के कारण ही तीनों फीमेल श्वान पोली,लीजा व लैला, इंसान से भी बढ़कर व्यवहार कर रहे हैं, अगर एक इंसान जानवरों में इस तरह के गुण विकसित कर सकता है तो यकीनन वह समाज में बड़ा बदलाव लाने में सक्षम है।
मामा स्व. रघु सिन्हा व बहिन स्व. माला माथुर का जीवन है प्रेरणा
सुधीर माथुर ने बताया कि मामा स्व. रघु सिन्हा के पदचिन्हों पर चलने की कोशिश आज भी कर रहा हूं, इनके जीवन मूल्य इनके साथ गुजारा हर लम्हा आज भी जीवंत है, मामा कहते थे कि अगर आपका दायां हाथ समाज सेवा कर रहा है तो बायें हाथ को भी पता न चले, इस तरह के व्यक्ति त्व थे जिनके जीवन की स्वयं राजमाता गायत्री देवी भी तारीफ करती थीं, कई बार राजमाता गायत्री देवी ने भी असहाय जरूरत मंद लोगों को भी अपना पत्र देकर भेजा कि इनकी सहायता करें।
बहिन स्व. माला माथुर का राजस्थान में एविएशन इंडस्ट्री को ऊपर ले जाने में अहम योगदान है, छोटी दूरी की फ्लाइट को आगे बढ़ाने में काफी काम किया जिसकी वजह से कंपनी ने कई बार बहिन माला के काम को सराहा। माला का भी समाज सेवा और जरूरत मंद लोगों को आगे बढ़ाने का जज्बा था। 05 मई 2005 को काल की क्रूर नियति ने मामा स्व. रघुसिन्हा व इसके बाद कैंसर के कारण बहिन माला को 23 नवंबर 2005 को मुझसे छीन लिया।
रघु सिन्हा माला माथुर चैरिटी ट्रस्ट
सुधीर माथुर ने आगे बताया कि रघु सिन्हा माला माथुर चैरिटी ट्रस्ट का का आरंभ वर्ष 2007 में किया गया, इस ट्रस्ट में कुल 6 व्यक्ति ट्रस्टी हैं। इस ट्रस्ट के जरिए हम समाज सेवा के कई काम कर रहे हैं, हमारा मकसद यही है कि हम उन जरूरत मंद लोगों तक पहुंचें जिन्हें वाकई में मदद की जरूरत है, अगर हम ऐसे इंसान की मदद कर रहे हैं और यदि वो हमारी मदद से जीवन में सफलता की ओर बढ़े तो इससे बड़ी खुशी की बात हो ही नहीं सकती। इस ट्रस्ट के जरिए हम स्कॉलरशिप भी प्रदान करते हैं तथा राजस्थान के आर्ट एंड कल्चर को भी प्रमोट करने का काम कर रहे हैं। अभी हमने उमंग बिल्डिंग के दो फ्लोर बनवाए हैं ताकि इस सेवा कार्य को सुचारू रूप से आगे बढ़ाया जाए।
इसके साथ हमने कश्मीर के तनमर्ग क्षेत्र में राहतगढ़ नाम से एक घर का निर्माण किया है जिसमें अनाथ बच्चियों के रहने का प्रबंध किया जा रहा है। भविष्य में हम कुछ बड़े प्रोजेक्ट भी लेकर आ रहे हैं जिसके तहत स्व. रघु सिन्हा- स्व. माला माथुर के नाम से स्कूल एजुकेशन आरंभ करने की योजना है, इस छोटी सी जिंदगी में कई काम करने हैं, बस धीरे-धीरे इस तरफ बढ़ रहे हैं।
जीवन में सहजता है पसंद
सुधीर पुराने फिल्मी गीत सुनने के बेहद शौकीन हैं, इसके अलावा अपनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर इन्हें पुस्तक पढऩा, कवि सम्मेलन सुनना बड़ा अच्छा लगता है। इनका व्यक्तिगत पुस्तकालय भी है जिसमें काफी संख्या में नई व पुरानी पुस्तकों का संकलन है। पोलो मैच देखना व ट्रेवलिंग, बागवानी करना इन्हें अच्छा लगता है। खास बात यह है कि अपने मृदुभाषी व्यक्तित्व से इन्हें हर पीढ़ी बेहद पसंद करती है।
समाज को समर्पित है जीवन
समाज सेवी सुधीर माथुर कहते हैं कि हमें जो भी मिलता है इस समाज के माध्यम से मिलता है,जब उचित समय आए तो समाज का भला करने के लिए हमें हमेशा तत्पर रहना चाहिए। कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता समय पर की गई किसी के लिए छोटी सी मदद भी दिल को बड़ा सुकून देती है। सुधीर आगे कहते हैं कि मेरा यह संपूर्ण जीवन समाज के लिए समर्पित है, ईश्वर ने मुझे सक्षम बनाया है और जब तक मैं हूं तब तक इन कार्यों को पूरी जिम्मेदारी और ईमानदारी के साथ लगनपूर्वक निभाऊंगा, जब हम बचपन में होते हैं तो सीखते हैं जब युवा बनते हैं तो कमाते हैं और तीसरा दौर आता है रिटर्न करने का जो मिला है उसे आप समाज को किस रूप में देते हैं, मैं समाज सेवा के जरिए समाज के लिए योगदान कर रहा हूं और आजीवन करता रहूंगा।