अमेरिका की “ग्लोबल हिन्दी ज्योति” संस्था की तरफ से “विश्व हिन्दी दिवस” पर, पहली बार एक हाइकु-कार्यशाला का 11 जनवरी, 2020, शनिवार को आयोजन, कैलिफोर्निया अमेरिका, में किया गया।
हिंदी साहित्य की अनेकानेक विधाओं में ‘हाइकु’ नव्यतम विधा है। हाइकु मूलत: जापानी साहित्य की प्रमुख विधा है। आज हिंदी साहित्य में हाइकु की भरपूर चर्चा हो रही है। हिंदी में हाइकु खूब लिखे जा रहे हैं और अनेक पत्र-पत्रिकाएँ इनका प्रकाशन कर रहे हैं। हाइकु सत्रह (17) अक्षर में लिखी जाने वाली सबसे छोटी कविता है। इसमें तीन पंक्तियाँ रहती हैं। प्रथम पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी में 7 और तीसरी में 5 अक्षर रहते हैं। हाइकु साधना की कविता है। किसी क्षण विशेष की सघन अनुभूति कलात्मक प्रस्तुति हाइकु है। हाइकु कविता को भारत में लाने का श्रेय कविवर रवींद्र नाथ ठाकुर को जाता है। आज हाइकु जापानी साहित्य की सीमाओं को लाँघकर विश्व-साहित्य की निधि बनता जा रहा है।
इसी को ध्यान में रख और हाइकु से विशेष प्रेम के चलते “ग्लोबल हिन्दी ज्योति” संस्था की अध्यक्ष डॉ अनिता कपूर ने विषेशतौर पर बे- एरिया, कैलिफोर्निया के प्रवासियों और हिन्दी प्रेमियों, लेखकों के लिए और हाइकु-विधा को विदेश में भी आगे लाने के लिए एक “हाइकु कार्यशाला” का आयोजन किया। इसमे स्थानीय लेखकों के अतिरिक्त भारत से आयीं विभा श्रीवास्तवा जी एवं लता यादव जी भी उपिस्थित रहीं। विभा जी ने भारत में बहुत हाइकु लेखन किया है। कार्यशाला में अनिता कपूर जी ने हाइकु विधा के बारे में विस्तार से बताया और विभा जी ने बताया की यह विधा कहाँ से और कैसे आयीं। हाइकु के लेखन नियम के बारे में भी समझाया। और फलस्वरूप कुछ लेखनों ने कार्यशाला में ही लिखने का प्रयास आरंभ कर दिया और कुछ पहले से ही लिख लिख कर लाएँ थे, जिनका उन्होने पाठ किया। इस आयोजन के बाद अब अमेरिका में भी हाइकु-विधा पर कार्य होगा तथा वक्त के साथ और भी निखर के आएगा।
अनिता कपूर, संस्थापिका एवं अध्यक्ष
अंजना गुप्ता, उपाध्यक्ष