समाज को समर्पित भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नवीन जैन द्वारा किए जा रहे सामाजिक सरोकारों से न केवल राजस्थान प्रदेश बल्कि देश में लाखों युवा जुड़े हुए हैं, ये जहां भी जाते हैं वहां लोग इनके द्वारा किए गए काम के कायल हो जाते हैं क्योंकि इनका काम बोलता है।
माही संदेश के प्रधान संपादक रोहित कृष्ण नंदन की नवीन जैन से विशेष बातचीत…
जब बढ़े कदम
नवीन जैन मूलत: हरियाणा राज्य के छोटे से कस्बे नरवाना के रहने वाले हैं, अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद इन्होंने कंपनी सेक्रेट्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर निजी क्षेत्र में कुछ समय अपनी सेवाएं दीं। इसके बाद इन्होंने भारतीय सिविल सेवा में जाने का निर्णय लिया और वर्ष 2001 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में इनका चयन हुआ तथा इन्हें राजस्थान राज्य आबंटित किया गया। ये वर्ष 2001 से अब तक अनेक जिलों में जिला कलेक्टर तथा जिला मजिस्ट्रेट के साथ-साथ अनेक राजकीय विभागों में महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए अपनी सेवाएं दे रहे हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के सदुपयोग तथा विभिन्न जटिल कार्यालयी प्रक्रियाओं के सरलीकरण के माध्यम से अनेक प्रकार के प्रशासनिक नवाचार करने के लिए इन्हें व्यापक सराहना मिली है। अपनी राजकीय सेवा के साथ-साथ ‘बेटियां अनमोल हैं अभियान को आम जनता में ले जाकर कन्या भ्रूण हत्यारों के विरुद्ध एक माहौल बनाने में पूरी तरह सफल रहे व वर्तमान में ‘स्पर्श अभियान के माध्यम से बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण के विरुद्ध समुदाय में जागृति पैदा करने का सराहनीय प्रयास कर रहे हैं। कोरोना संकट काल में आई इनके द्वारा लिखी पुस्तक ‘वैक्सीन 50Ó समाज में हर आयु वर्ग के लिए प्रेरणा का कार्य कर रही है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में बेटियों के लिए किए गए उल्लेखनीय कार्यों के बारे में बताएं?
नवीन जैन : मैं वर्तमान में सीएमडी-राजस्थान रोडवेज के पद पर कार्यरत हूं। मैंने जून 2014 से दिसंबर 2018 के मध्य राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन राजस्थान के मिशन निदेशक के पद पर काम किया। इसी दौरान राजस्थान में बेटियों को बचाने के लिए जो पीसीपीएनडीटी कानून बना हुआ है मैं उसकी राज्य समुचित प्राधिकारी का चेयरमैन था। राजस्थान ने एक अभिनव प्रयोग करते हुए ‘ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन पीबीआई थाना बनाया हुआ है उस दौरान मैं उस थाने का भी प्रमुख था। ‘पीसीपीएनडीटी कानूनÓ जो यह मना करता है कि आप भ्रूण के लिंग की जांच नहीं करा सकते। भारत में कोई भी कानून ऐसा नहीं है जो कन्या भू्रण हत्या को सीधे रूप से रोकता है यह कानून कहता है कि आप अपने गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिंग की जांच नहीं कराएंगे और यह कानून इसलिए बनाया गया क्योंकि 1980 के समय सोनोग्राफी मशीन जब बहुत ज्यादा प्रचलन में आ गई थी। अधिकांशत: उस समय इसका इस्तेमाल डॉक्टर्स द्वारा भू्रण के लिंग की जांच में किया जाने लगा और इसके परिणामस्वरूप संपूर्ण भारत में 1981 के बाद 1991 फिर 2001 व इसके बाद 2011 में लगातार बाल लिंगानुपात यानी 0 से 6 वर्ष के बच्चों का जो लिंगानुपात है वो बहुत भयानक तरीके से गिरने लगा था और इसके गिरने के कारण पूरे भारत व राजस्थान में यह महसूस किया जाने लगा था कि इसके लिए कुछ होना चाहिए तब 199३ में पीसीपीएनडीटी कानून भारत सरकार द्वारा बनाया गया लेकिन दुर्भाग्यवश 27 वर्ष बीतने के बावजूद इस कानून को सख्ती से लागू नहीं किया जा सक ा है। हम लोगों ने वर्ष 2015 में यह महसूस किया कि अगर राजस्थान को 2021 में जब लिंगानुपात की गणना होगी तब बाल लिंगानुपात में अगर सुधार करना है इसके लिए बहुत जरूरी है कि हम लोग अभी से प्रयास आरंभ करें इसके तहत 2015 में हमारे द्वारा पीसीपीएनडीटी एक्ट को पुर्नजीवित करने के प्रयास किए गए और इस ब्यूरो में हमने अच्छे अधिकारियों की नियुक्तियां करवाईं और नियुक्तियां करवाने के बाद हमने मुखबिर योजना चलाई।
मुखबिर योजना क्या है?
नवीन जैन: मुखबिर का मतलब होता है ‘इन्फॉर्मर क्योंकि सरकार यह पता नहीं लगा सकती है कि कहाँ कौन से घर में व्यक्ति अपनी पत्नी या बहू के गर्भ में पल रहे बच्चे का लिंग जांच कराने वाला है और लिंग जांच में यदि लड़की पाई गई तो वह उसका गर्भपात तो नहीं करवा लेगा। इसी वजह से हमारे यहां लिंगानुपात में दिक्कत आती है। क्योंकि इस प्रकार लिंग जांच करने वाले सेंटर्स की जांच नहीं हो पाती है या अवैध लिंग जांच केन्द्र खुल गए हैं, लोग कहीं न कहीं से सोनाग्राफी की पुरानी मशीन ले आए हैं और उनमें जांच करते रहते हैं, इन्फॉर्मर का काम इतना है कि वो हमारे दिए हुए नंबरों पर यह बताता है कि फलाने परिवार से एक व्यक्ति इस तरह का कार्य करने जा रहा है, या फलाना सेंटर इस तरह का कार्य करने जा रहा है। या फलाने डॉक्टर, कंपाउडर, दलाल, अनपढ़ लोग तथा कुछ झोलाछाप डॉक्टर उस समय इसमें काफी लिप्त थे। राजस्थान में 2015 में सेंटर्स पर तो काफी सख्ती हो चुकी थी लेकिन जो अवैध केंन्द्र स्थापित हो चुके थे जैसे शेखावटी क्षेत्र में गंगानगर, हनुमानगढ़ इस तरफ ये अवैध गतिविधियां ज्यादा सक्रिय थीं। वहां इस पर लगाम लगाने के लिए मुखबिर योजना प्रभावी हुई। मुखबिर योजना में हमने बदलाव किया पहले मुखबिर योजना में मुखबिर को एक लाख रुपए का इनाम दिया जाता था लेकिन इसके बावजूद हमें काफी कम संख्या में सूचना मिल पाती थी। कारण यह था कि मुखबिर तो सूचना दे देता था लेकिन हमें सेंटर्स पर डॉक्टर्स को रंगे हाथों पकड़ने लिए डिकॉय की जरूरत हुई।
‘डिकॉय ऑपरेशन के बारे में विस्तार से बताएं?
नवीन जैन: डिकॉय का मतलब होता है फेक ग्राहक। फेक ग्राहक कोई गर्भवती महिला ही हो सकती है और कोई भी व्यक्ति अपने घर की गर्भवती महिला को रिस्क लेने नहीं भेजेगा। ऐसे में हमने अपनी मुखबिर योजना में सुधार करते हुए एक लाख की इनाम राशि को बढ़ाकर ढाई लाख रुपए किया। जिसमें एक लाख रुपए मुखबिर को और एक लाख रुपए डिकॉय के रूप में गर्भवती महिला को और पचास हजार रुपए गर्भवती महिला के साथ जाने वाले सहयोगी को दिए जाते हैं। सहयोगी हमारी टीम को इन्फार्म करता है जीपीएस सिग्नल देता है। ढाई लाख रुपए की मुखबिर योजना आरंभ होने के बाद हमारे पास काफी संख्या में सूचनाएं आना आरंभ हो गईं थीं। और हमने काफी संख्या में राजस्थान में ऑपरेशन किए कन्या भू्रण हत्या पर काफी हद तक लगाम लगाई। इस दौरान हमारे ब्यूरो में एक अधिकारी आए रघुबीर सिंह। मैं इनका नाम जरूर लेना चाहूंगा ये राजस्थान पुलिस सेवा के अधिकारी हैं इन्होंने जब राजस्थान के पीबीआई में अपना कार्यभार ग्रहण किया तब इन्होंने अपना मिशन बना लिया कि ज्यादा से ज्यादा सूचनाएं एकत्रित करेंगे। इन्होंने इस कार्य के लिए पुलिस निरीक्षकों को बेहद कम समय में प्रशिक्षित किया। हमने सौ से भी ज्यादा डिकॉय ऑपरेशन किए।
क्या आपने राजस्थान से बाहर जाकर भी डिकॉय ऑपरेशन किए?
नवीन जैन: जी हां बिल्कुल जब हमने डिकॉय ऑपरेशन गुजरात में किए तब कानूनी रूप से अड़चन आई कि क्या हम कानूनी रूप से कार्य कर सकते हैं। हमने जब इसके बारे में कानूनी रूप से सलाह ली। इसके तहत हमने गुजरात, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, दिल्ली में काफी संख्या में इन राज्यों की लोकल अथॉरिटी के साथ मिलकर डिकॉय ऑपरेशन किए। हमने सबसे ज्यादा डिकॉय ऑपरेशन गुजरात और उत्तर प्रदेश में किए। कुल मिलाकर हमारी टीम ने चालीस से अधिक ऑपरेशन इंटर स्टेट किए। इंटर स्टेट ऑपरेशन के बाद अधिकांश लोगों में यह डर हो गया कि अगर हम किसी गर्भवती महिला के भू्रण के लिंग की जांच करेंगे तो राजस्थान की टीम हमें पकड़ लेगी। इस कारण राजस्थान में पूरी तरह से लिंग की जांच पर हम रोक लगाने में कामयाब हुए, इसके साथ ही राजस्थान के बाहर पडौसी राज्यों में भी हमारी टीम का डर बैठ गया और वहां भी लिंग जांच पर लगाम लगी और हमारी बेटियां पैदा होने लगीं, राजस्थान का जो जन्म पर लिंगानुपात एक वर्ष के दौरान कितने लड़कों व लड़की ने जन्म लिया, इसका पता लगाना बहुत आसान है क्योंकि राजस्थान में आज लड़कियों के पैदा होने पर कई प्रकार के लाभ दिए जाते हैं, ऐसे में इस बात की गणना करना आसान हो जाता है कि एक वर्ष में कितने लड़के और कितनी लड़की पैदा हुई हैं और उनके आपस के अनुपात को जन्म पर लिंगानुपात बोला जाता है। मुझे आपको यह बताते हुए खुशी है कि हमारे समय में राजस्थान में यह जन्म पर लिंगानुपात बढ़ते-बढ़ते 950 को भी टच कर गया था यानी 1000 लड़कों के जन्म पर 950 लड़कियां पैदा होने लगीं थी। 2016-17-18-19-20-21 इन छह वर्षों में जन्म पर लिंगानुपात बढ़ता जाएगा तो 0 से 6 वर्ष के बच्चों की गणना जब 2021 की जनगणना में की जाएगी तो राजस्थान का जो लिंगानुपात होगा वो सर्वश्रेष्ठ होगा और राजस्थान राज्य इसमें अन्य राज्यों की अपेक्षा बढ़त दर्ज करेगा और यह बढ़त काफी अच्छी होगी, हमारी पिछली बार की दर 880 के आस-पास थी, यानी कि 2011 मेंं बालिका लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 880 लड़कियों तक गिर गया था। लेकिन अब जो 2021 में जनगणना होगी तो हमारा विश्वास है कि यह 900 या इससे ज्यादा हो सकता है। गिरने के बजाय बालिका लिंगानुपात का बढ़ना कोई कम बात नहीं है, इसे किसी चमत्कार से कम नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि यह प्रयास कुछ दिनों या महीनों में नहीं किए जा सकते हैं, इनके लिए कई वर्षों तक काम करना पड़ता है और हम लोगों ने वर्ष 2014 से वर्ष 2018 के बीच जिस प्रकार से कानून की पालना करवाई, उससे बहुत ज्यादा फायदा हुआ।
आप जब कानून की पालना करा रहे थे तब क्या आपके मन में यह नहीं आया कि इसके बारे में आम जनता में जागरुकता पैदा की जाए?
नवीन जैन : आपने बिल्कुल सही सवाल पूछा है, जब सितंबर 2016 में हमारी टीम के दिमाग में यह आया कि कानून के द्वारा तो उन लोगों को पकड़ा जाता है जो अपराधी बन गए हैं या जिन्होंने यह गलत कृत्य किया है। लेकिन समाज का एक बहुत बड़ा भाग ऐसा है जिसे पता ही नहीं है कि भ्रूण की जांज कराना, कन्या को मारना, गर्भपात कराना बहुत बड़ा अपराध है। वो इसे अपना अधिकार मानकर चलते हैं तो ऐसे में समाज में यह जागरूकता पैदा करने के लिए एक कार्यक्रम आरंभ किया गया जिसका नाम था ‘बेटियां अनमोल हैंÓ। आपको जानकर विश्वास नहीं होगा कि हम लोगों ने मात्र ढाई वर्ष के अंदर यानी दिसंबर 2016 तक इस कार्यक्रम को हम राजस्थान के बड़े-बडे विद्यालयों, महाविद्यालयों के अलावा पचायतों तक भी पहुंचा चुके थे। हमारे द्वारा तैयार किए गए वॉलिंटियर्स ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई, हमने 17 नवंबर का दिन तय किया इस दिन हमने काफी संख्या में प्रोग्राम आयोजित किए इसकी सफलता को देखते हुए 24 जनवरी 2018 का जो दिन था वो इतिहास में दर्ज हो गया, 24 जनवरी राष्ट्रीय बालिका दिवस होता है और इस दिन हमने रिकॉर्ड 6400 कार्यक्रम पूरे राजस्थान के सभी जिलों में आयोजित किए जिसको आमने-सामने साढ़े ग्यारह लाख से अधिक लोगों ने सीधा सुना ये कोई ऑनलाइन प्रोग्राम नहीं था ये आमने-सामने वाला ऑफ लाइन प्रोग्राम था और कुल मिलाकर हमने 17 नवंबर 2017 और 24 जनवरी 2018 और सितंबर 2018 में हम लोगों ने बेटी पंचायत के नाम से राजस्थान की समस्त 9900 पंचायतों में एक-एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसमें आम ग्रामीण लोगों को भी इस बारे में बताया गया कि बेटियां हमारे लिए क्यों जरूरी हैं और उनको यदि आप गर्भ में मारते रहेंगे तो समाज में किस प्रकार की दिक्कतें आएंगी। इन तीनों कार्यक्रमों को मिलाकर बीस लाख राजस्थानियों को चाहे वो किसी भी आयु वर्ग के थे लेकिन ज्यादातर हमने युवाओं को टारगेट किया और हमने समाज में बेटियों के बारे में जागृति फैलाई।
‘कानून का पालन सख्ती से लोगों के अंदर जागृति नरमी से इस मूलमंत्र के बारे में बताइए?
नवीन जैन : हमारा ये मूलमंत्र सफल रहा, हमने प्रण पूरा किया कि अपराधी को अच्छे से सजा मिलनी चाहिए और जो अपराधी बन सकता है उसे बनने से रोकने के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए ताकि वह अपराधी न बने। ‘कानून का पालन सख्ती से लोगों के अंदर जागृति नरमी सेÓ इस तरह कानून का पालन करने से और जागृति फैलने से राजस्थान को लगातार तीन वर्षों तक भारत सरकार से बाल लिंगानुपात बढ़ने का इनाम मिला यह पुरस्कार हमारे लिए राजस्थान महिला बाल विकास द्वारा ग्रहण किया गया।
प्रधानमंत्री अवॉर्ड के लिए शीर्ष छह में आप पहुंचे यह बड़ी उपलब्धि है इसके बारे में बताएं व अन्य राज्यों ने आपसे प्रेरणा ली इस पर भी प्रकाश डालें?
नवीन जैन: प्रधानमंत्री अवॉर्ड सिविल सर्विस डे के दिन मिलता है, इस पुरस्कार के लिए हम आखिरी छह में थे, हमें यह इनाम मिल नहीं पाया लेकिन राजस्थान के इस पूरे प्रयास का आखरी छह में पहुंच पाना भी हमारे लिए बड़ी उपलब्धि है हालांकि इनाम बेस्ट को मिला होगा,लेकिन हम यहां तक पहुंचे यह हमें हमेशा प्रेरित करता रहेगा।
इसके अलावा हमें अनेक राज्यों द्वारा प्रजंटेशन के लिए बुलाया गया, अनेक राज्यों की टीमों ने राजस्थान का दौरा किया। आपको जानकर खुशी होगी कि उत्तर प्रदेश सरकार ने हमारे राजस्थान के डिकॉय मॉडल को ज्यों का त्यों लागू किया। वहां पर भी एक ब्यूरो बनाया गया है और इसी प्रकार से मुखबिर योजना आरंभ की गई है। मुझे पूरा विश्वास है कि राजस्थान में इसी प्रकार से बेटियों को बचाने के लिए प्रयास होते रहेंगे तो हम 2021 में गर्व से कह पाएंगे कि राजस्थान में भी बेटियों का सम्मान किया जाता है और यहां भी महिलाओं का वही दर्जा है जो पुरुषों का है।