न्यू सांगानेर रोड़ सोडाला स्थित हॉटेल रॉयल अक्षयम में आयोजित नौ दिवसीय धारावाहिक प्रवचन श्रृंखला के आठवें दिवस प्रेम मंदिर, श्री वृंदावन धाम से छोटी काशी गुलाबी नगरी जयपुर पधारी जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की शिष्या सुश्री श्रीधरी जी ने भक्तों की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए वेद से लेकर रामायण तक समस्त धर्मग्रंथों के प्रमाण देते हुये सिद्ध किया कि किसी वास्तविक श्रोत्रिय ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष को गुरु रूप में वरण किये बिना कोई भी जीव भगवान तक नहीं पहुँच सकता। सद्गुरु के अभाव में वो कभी अपने सनातन संबंधी ईश्वर तक नहीं पहुँच सकता।
साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गुरु और भगवान दोनों में कोई भेद नहीं होता। दोनों एक ही होते हैं, अतएव गुरु की महिमा समझकर मनुष्य को उनकी शत प्रतिशत आज्ञाओं का पालन करना चाहिए और उनके सदुपदेशों को जीवन में उतारना चाहिए। किन्तु उनके दिव्य आचरणों का अनुसरण करने की कुचेष्टा कभी नहीं करनी चाहिए एवं गुरु के प्रति स्वप्न में भी दुर्भावना से बचना चाहिए क्योंकि हमारे शास्त्रों में ये अक्षम्य अपराध बताया गया है।
सुश्री श्रीधरी जी ने गुरु तत्व पर प्रकाश डालते हुये कहा की सही गुरु को पहचानने के लिए हमें कुछ महत्वपूर्ण शास्त्रीय सिद्धांतों को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए। वास्तविक संत कभी सांसारिक आशीर्वाद नहीं दिया करते, वे कोई चमत्कार इत्यादि दिखाकर लोकरंजन भी नहीं करते और कभी श्राप इत्यादि देकर किसी का अमंगल नहीं करते। इसके साथ ही वे शिष्य परम्परा भी स्थापित नहीं करते अर्थात कान फूँक कर,दीक्षा इत्यादि देकर चेले नहीं बनाते। कभी बहिरंग वेषभूषा या बाह्य आचरण इत्यादि देखकर मनुष्य को किसी को गुरु रूप में वरण नहीं करना चाहिए अपितु गुरु के भीतर छिपे अथाह ईश्वरीय प्रेम को परखकर ही उसे गुरु रूप में स्वीकार करना चाहिए। वास्तविक संत के श्रद्धापूर्वक निरंतर किये गये संग से ही संसार से सहज वैराग्य होने लगता है एवं ईश्वर अनुराग बढ़ने लगता है, यह भी उनकी पहचान का एक पैमाना है।प्रवचन के अंत में सद्गुरु महिमा संबंधित कीर्तन कराकर उन्होंने श्रोताओं को भक्ति रस में सराबोर कर दिया,पश्चात श्रीमद युगल सरकार की आरती करवा कर आज के प्रवचन को विश्राम दिया।संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि प्रवचन 30 जून तक प्रतिदिन साँय 6.00 बजे से 8.00 बजे तक आयोजित किए जा रहे हैं।