फिल्म, जलवायु परिवर्तन से लेकर स्वादिष्ट खाने, सार्थक संवाद और कहानियों के नाम रहा जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 

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जयपुर, माही संदेश – वेदांता की प्रस्तुति, मारुति सुजुकी के सहयोग और VIDA द्वारा संचालित जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में दुनिया के जाने-माने लेखकों के साथ दिलचस्प चर्चाएं हुईं। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण का समापन अत्यंत शानदार तरीके से हुआ, जिसमें दुनियाभर से लेखक, विचारक, और खेल एवं मनोरंजन जगत के प्रसिद्ध सितारे एक मंच पर आए। क्लार्क्स आमेर में आयोजित इस वर्ष के फेस्टिवल में 600 से अधिक वक्ताओं ने रोचक चर्चाओं, वाद-विवाद और प्रस्तुतियों में भाग लिया।

इतिहास कौन ढूंढता है, कौन इसे जोड़ता है, और कौन इसे चुनौती देता है? इस विषय पर चर्चा के लिए एक विशेष सत्र में प्रतिष्ठित उपन्यासकारों को एक मंच पर लाया गया। चर्चा की शुरुआत में नंदिनी नायर ने सवाल किया कि क्या उपन्यासकार इतिहास के पीछे भागते हैं? एंड्रयू ओ’हैगन ने कहा कि इतिहास ही लेखकों को सवाल उठाने के लिए प्रेरित करता है। डेविड निकोल्स ने कहा कि वे अपने पात्रों के लिए व्यक्तिगत इतिहास गढ़ते हैं, जिससे उनकी कहानियों में भावनात्मक गहराई आती है। जेनी एरपेनबेक ने अपने लेखन को सीखने की प्रक्रिया बताया और कहा कि वे शोध और लोगों से बातचीत के ज़रिए अपनी कहानियों को आकार देती हैं। वी.वी. गणेशनाथन ने कहा कि उनके लिए किरदारों को गढ़ना एक जुनून है। गीतांजलि श्री ने कहा, “एक लेखक अपने भीतर झांकता है, लेकिन यह नहीं जानता कि वहां क्या छिपा है – और यही सबसे डरावनी बात है।”

‘द स्पिरिट ऑफ द गेम’ सत्र के केंद्र में रहे भारतीय खेल जगत के सितारे। इस पैनल में दीपा मलिक, राहुल बोस और नंदन कामथ शामिल थे, जिन्होंने कामथ की हाल ही में प्रकाशित किताब बाउंड्री लैब: इनसाइड द ग्लोबल एक्सपेरिमेंट कॉल्ड स्पोर्ट पर चर्चा की। कामथ के अनुसार, खेल हमारे समाज का ही प्रतिबिंब होते हैं। बोस ने कहा कि एथलीटों के स्वास्थ्य और पोषण का ध्यान सिर्फ खेल के दौरान ही नहीं, बल्कि पूरे साल रखा जाना चाहिए। मलिक ने बताया कि टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम और गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन की वजह से उन्हें शारीरिक, आर्थिक और कानूनी सहायता मिली, जिससे उनकी पैरालंपिक पदक की यात्रा संभव हो पाई।

‘फर्स्ट एडिशन’ बुक लॉन्च के तहत प्रसिद्ध लेखिका नमिता गोखले की नवीनतम किताब जाग तुझको दूर जाना का विमोचन हुआ, जो उनके अंग्रेज़ी उपन्यास नेवर नेवर लैंड का हिंदी अनुवाद है। अनुवादक ऐशवर्ज कुमार ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए बताया कि आज के दौर में जब अंग्रेज़ी के शब्द हिंदी की शब्दावली में शामिल होते जा रहे हैं, तब किसी साहित्यिक कृति का अनुवाद करना मुश्किल काम है। 

तत्वभौतिक विज्ञानी क्लाउडिया डे रैम ने उद्यमी मुकेश बंसल के साथ बातचीत में अपने अंतरिक्ष यात्री बनने के बचपन के सपने और उसके टूटने की कहानी साझा की। उन्होंने बताया कि एक अज्ञात चिकित्सीय समस्या के कारण वे अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाईं। जयपुर के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों से आए छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने असफलता को स्वीकार करने और उससे आगे बढ़ने का संदेश दिया। सत्र में गुरुत्वाकर्षण के महत्व पर भी चर्चा हुई, जिसे ब्रह्मांड की सबसे आधारभूत और जोड़ने वाली शक्ति बताया गया। रैम ने विज्ञान में विविधता बढ़ाने के लिए महिलाओं की भागीदारी को आवश्यक बताया।

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 18वें संस्करण के चौथे दिन की शुरुआत संदीप नारायण की मंत्रमुग्ध कर देने वाली कर्नाटिक प्रस्तुति से हुई। उन्होंने दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के भजनों से शुरुआत की, जिसमें उनका साथ वायलिन पर एल. रामकृष्णन और मृदंगम पर साई गिरिधर ने दिया। 

इसके बाद, अवी श्लाइम ने थ्री वर्ल्ड्स: मेम्वॉयर ऑफ़ अन अरब ज्यू सत्र की शुरुआत की, जिसमें उन्होंने इराक में अपने परिवार के जीवन और वहां एक समय फलते-फूलते यहूदी समुदाय की समृद्ध धरोहर पर बात की। उनकी स्मृतियों में पहचान, विस्थापन और प्रवासन के गहरे प्रभाव जैसे विषय विस्तार से सामने आते हैं। उनकी कहानी का केंद्र उनकी मां हैं, जिनके अनुभव और इराक के बारे में जानकारी उनके काम की नींव बने। 

अमोल पालेकर ने अपनी किताब पर चर्चा के दौरान कहा, “मैं एक्टर संयोग से बना। मैं पेंटर बनना चाहता था और चाहता था कि मेरी पहचान एक पेंटर के रूप में ही बने।” उन्होंने अपने अभिनय के दिनों की दिलचस्प कहानियां सुनाईं, जो दर्शकों को उस दौर में ले गईं। पालेकर, जो एक सत्ता-विरोधी कार्यकर्ता भी रहे हैं, अपनी किताब में छह दशकों के थिएटर और फिल्म जगत के इतिहास और इसकी राजनीति को सामने लाते हैं। उनकी पत्नी और फिल्म निर्माता संध्या गोखले ने भी सख्त सेंसरशिप कानूनों के खिलाफ उनकी लड़ाई की कहानी साझा की।

एक अन्य सत्र में, जलवायु परिवर्तन पर बात करते हुए मृदुला रमेश ने कहा कि जयपुर में फरवरी की शुरुआत में इतनी गर्मी सामान्य बात नहीं है। जॉन वैलियंट की किताब Fire Weather बताती है कि हम आग के नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां बढ़ते वैश्विक तापमान जलवायु आपदाओं को बढ़ा रहे हैं और बहुत बड़ी आबादी को संकट में डाल रहे हैं। सुनील अमृत ने आग की विनाशकारी शक्ति और उस ऐतिहासिक अन्याय की बात की, जिससे पर्यावरण को क्षति हुई। उन्होंने अमिताव घोष के लेखन का उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे इंसानों ने अपनी कहानियों और इतिहास में प्रकृति को नजरअंदाज किया है। वैलियंट ने कहा कि आग हमें सिखा रही है कि हम उतने ताकतवर नहीं हैं जितना हमने सोचा था।

G20 शेरपा अमिताभ कांत ने एक विशेष सत्र में कहा,“भारत ने वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ को बुलंद किया। आमतौर पर घोषणाओं का मसौदा विकसित देश तैयार करते हैं, लेकिन G20 में भाषा और विचार पूरी तरह से वैश्विक दक्षिण के हैं।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ काम करने के अपने अनुभव साझा किए और बताया कि कैसे भारत ने G20 में आम सहमति बनाने में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने ज़ोर दिया कि G20 केवल सरकारों तक सीमित न रहे, बल्कि यह लोगों का आंदोलन बने।

“मुझे लगता है कि भारत में इकिगाई को लेकर इतनी दिलचस्पी इसलिए है क्योंकि यह देश युवाओं की ऊर्जा से भरा हुआ है।” अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर Ikigai के सह-लेखक फ्रांसेस्क मिरायेस और सांसद व लोकप्रिय लेखक शशि थरूर के बीच हुई बातचीत को सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे। इस चर्चा में मिरायेस ने अपनी नई किताब Purushartha: The Four Way Path के बारे में बताया, जो हजारों साल पुराने भारतीय ज्ञान को सरल रूप में प्रस्तुत करती है। थरूर ने अपनी किताब Why I am a Hindu का ज़िक्र करते हुए समझाया कि हिंदू धर्म की कोई एक परिभाषा नहीं है। यह सत्य के विभिन्न रूपों को स्वीकार करता है, तर्कशीलता को महत्व देता है और कई मायनों में यह 21वीं सदी का धर्म है।

क्या आपने कभी ऐसा स्वाद चखा है जिसने आपकी किसी खास पल की याद ताजा कर दी हो? पूर्व मास्टरशेफ जज और फूड क्रिटिक मैट प्रेस्टन ने वीर सांघवी के साथ बातचीत में अपनी दादी के घर बिताए दिनों को याद किया और बताया कि किस तरह उन्होंने उनके “खराब” खाने से बचने के लिए खुद खाना बनाना सीखा। हालांकि, यह उनके साथ बिताए गए समय से ही संभव हुआ था। प्रेस्टन ने भारत और यहां के लोगों के प्रति अपने लगाव को साझा किया और कहा कि भारतीयों ने उन्हें और मास्टरशेफ को खुले दिल से अपनाया है। उन्होंने कहा, “खाना एक अनुभव है। यह अविश्वसनीय है कि भोजन हमें खास पलों से जोड़ सकता है, क्योंकि यह हमारी चेतना का एक अहम हिस्सा है। कई बार हम खाने की ताकत को कम आंकते हैं, और यह सिर्फ फैंसी रेस्टोरेंट के खाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस खाने से भी जुड़ा है जो हमारी आत्मा को सुकून देता है।”

फेस्टिवल के चौथे दिन के अंतिम सत्र में बड़ी संख्या में दर्शक शशि थरूर को सुनने आए थे। संपादक और पत्रकार वीर सांघवी के साथ बातचीत में, थरूर—जिन्हें सांघवी ने फेस्टिवल का “शाहरुख खान” कहा—ने अपनी भारतीय राजनीति की यात्रा पर चर्चा की। उन्होंने केरल में अपने ऐतिहासिक चुनाव से शुरुआत की, जब अधिकांश जीवन विदेश में बिताने के कारण कई लोगों को लगा कि वे इस पद के योग्य नहीं हैं। लेकिन जनता से सीधे जुड़कर उन्होंने चुनाव जीता। 

कई नई पुस्तकों का भव्य लोकार्पण हुआ। इनमें मालिनी अवस्थी की चंदन किवाड़, अर्जुन सुब्रमण्यम की शूटिंग स्ट्रेट, हाउ इंडिया स्केल्ड एमटी जी20, वायु नायडू की द लिविंग लीजेंड: रामायण टेल्स फ्रॉम द फार एंड नियर, अरुंधति नाथ की द फैंटम्स हाउल और मालाश्री लाल की मंडल ध्वनि शामिल हैं।

जयपुर साहित्य उत्सव के आखिरी दिन मानव कौल, इम्तियाज अली, नथान थ्रॉल, मुकुलिका बनर्जी, अनुपमा चोपड़ा, यतींद्र मिश्रा, रॉबर्ट सर्विस और कई अन्य प्रसिद्ध वक्ता शामिल हुए।

यह सम्मेलन साहित्यिक सहयोग और नवाचार को बढ़ावा देता है और सीमाओं से परे जाकर उन प्रतिभाओं को सामने लाता है, जो समकालीन साहित्य को आकार दे रही हैं ।  जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल का अगला संस्करण 15 से 19 जनवरी 2026 तक आयोजित किया जाएगा।


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