कार्टून विधा के भविष्य पर विमर्श

Spread the love

कार्टून बनाने वाली चार प्रमुख  हस्तियों ने शुक्रवार 05 मई को जयपुर में  विश्व कार्टून दिवस पर “हिंदी में कार्टून जगत की चुनौतियां” विषय पर बहुत ही सटीक और सुलझा हुआ विमर्श किया जिसमें व्यवसाय से घिरी पत्रकारिता की परतें भी खुली।

ग्रासरूट मीडिया फाउंडेशन ने कलानेरी अकादेमी ऑफ़ फाईन आर्ट्स के सहयोग से यह महत्वपूर्ण आयोजन किया था जिसमें मंझे हुए कार्टूनिस्ट अभिषेक तिवारी तथा तीन अन्य प्रमुख कार्टूनिस्टों कमल किशोर, सुशील गोस्वामी और के.जी. कदम की आपसी चर्चा में यह बात स्पष्ट उभर कर आई कि आज की परिस्थितियों में कार्टूनिस्ट बनना कोई करियर विकल्प नहीं है। इसलिए इस विधा की तरफ हिंदी पत्रकारिता में नई पीढ़ी नहीं झांक रही है। लेकिन यह स्वीकार किया गया कि नए डिजिटल माध्यम में यह विधा अपना स्थान बनाए रखेगी।

अखबारों में कार्टूनों के लिए स्थान संकुचित होने के साथ उनकी धार भी कोमल हो जाने की बात भी हुई। साथ ही सुधि पाठकों  की संख्या घट जाने तथा समझ रखने वाले संपादकों की हैसियत गिर जाना भी उजागर हुआ।

कार्यक्रम में मौजूद सुधि श्रोताओं का इन चार कार्टूनिस्टों से हुआ आत्मीय संवाद ने चुनौतियों को सही परिपेक्ष्य में समझने की राह दिखाई। 

विमर्श कार्यक्रम में युवा पीढ़ी की भागीदारी आश्वस्त करने वाली थी। बच्चे-बच्चियों के लिए कार्टूनिस्टों को अपने सामने कार्टून बनाते देखना अलग ही अनुभव था जो उनके चेहरों से झलक रहा था।


Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *