जयपुर, 18 मई। पर्यटन आज अत्यधिक अनुभवात्मक हो गया है, जहां पर्यटकों को कुछ एक्सपीरिएंस करने के लिए ‘यूनीकनेस’ अपनी ओर आकर्षित करती है। जबकि पहले के समय में आर्किटेक्चर और संस्कृति मुख्य फोकस हुआ करते थे। मिलेनियल्स अब ग्रामीण क्षेत्रों में ऑथेंटिक अनुभव की तलाश कर रहे हैं, जिसकी विशेषता के रूप में ‘कलिनरी टूरिज्म’ उभरकर आया है। राजस्थान को हर क्षेत्र में अपनी विविध प्रकार की मिलेट्स की पेशकश के साथ, पर्यटकों के बीच एक ‘कलिनरी डेस्टिनेशन’ के रूप में प्रचारित किया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त, लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर स्ट्रीट फूड में बाजरा को शामिल करने से इसे लोगों के बीच प्रचलित किया जा सकता है। इसलिए, पर्यटन उद्योग में मिलेट्स का लाभ उठाने के अच्छे अवसर हैं। इसके साथ ही, विशेष रूप से 0-6 वर्ष की आयु के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ध्यान में रखते हुए, स्टार्टअप्स और उद्यमियों के लिए मिलेट्स का उपयोग करके नवीन और ओर्गेनिक व्यंजनों और उत्पादों को विकसित करने की अपार संभावना है। यह बात सहकारिता, राजस्थान सरकार की प्रमुख शासन सचिव, श्रेया गुहा ने राजस्थान मिलेट कॉन्क्लेव में कही। इस एक दिवसीय कॉन्क्लेव का आयोजन आज जयपुर में फिक्की द्वारा किया गया था।
प्रमुख शासन सचिव ने आगे कहा कि मिलेट्स हमेशा से राजस्थान के पारंपरिक आहार का एक अभिन्न हिस्सा रहा है और राज्य बाजरे का अग्रणी उत्पादक है। इसके अतिरिक्त, भारत में वैश्विक ‘मिलेट’ उत्पादन का 20% हिस्सा है और बाजरे का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। मिलेट्स को पानी और जमीन सहित कम संसाधनों की आवश्यकता होती है, जो कि उसे देश के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी उत्पाद बनाता है।
कार्यक्रम के विषय पर बात करते हुए चेयरमैन, फिक्की टास्क फोर्स ऑन मिलेट्स एंड डायरेक्टर सीड्स, साउथ एशिया, कोर्टेवा एग्रीसाइंस, श्री जितेंद्र जोशी ने कहा कि भारत के मिलेट उत्पादन में सबसे बड़े योगदानकर्ता के रूप में, राजस्थान का इंटरनेशनल ईयर ऑफ मिलैट्स 2023 में मिलेट पहल की सफलता में भी बड़ा सहयोग है। आज के मिलेट कॉन्क्लेव ने राजस्थान की मिलेट वैल्यू चेन को आगे बढ़ाने के रोडमैप पर चर्चा करने के लिए कई हितधारकों के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया। यह व्यापक दृष्टिकोण न केवल स्थानीय बल्कि देश भर में राज्य के मिलेट उद्योग के लिए उत्कृष्ट अवसर पैदा करेगा। मिलेट्स वर्षा सिंचित क्षेत्रों के लिए एक जलवायु के अनुरूप फसल साबित हुई है, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है और पूरे देश के लिए पौष्टिक भोजन प्रदान करते हुए सस्टेनेबल कृषि को बढ़ावा मिला है। इसके साथ ही, मिलेट्स कृषि व्यवसायों के लिए नई आर्थिक संभावनाओं भी पेश करता है।”
राजस्थान सरकार के कृषि विभाग, संयुक्त निदेशक, श्री शंकर बाबू ने कहा कि मिलेट्स चावल और गेहूं की तुलना में बहुत अधिक पौष्टिक होता है और इसे लोगों के दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि सरकार ने 2022-23 में राजस्थान मिलैट प्रमोशन मिशन भी लॉन्च किया है। इसमें किसानों, उद्यमियों और स्वयंसेवी संगठनों द्वारा 100 प्राइमरी प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना के लिए 40 करोड़ रुपये अनुदान का प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने मिड-डे मील में मिलेट्स को भी शामिल किया है। राजस्थान में मिलैट्स के सर्वाधिक उत्पादन को देखते हुए, जोधपुर में 5 करोड़ रुपये के निवेश से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर मिलैट्स भी स्थापित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जहां राजस्थान मिलैट्स के उत्पादन में अग्रणी है, वहीं मिलेट्स के प्रोसेसिंग और मार्केटिंग को बढ़ावा देने की दिशा में भी काम किया जाना चाहिए।
कृषि एवं प्राकृतिक संसाधन, निदेशक, पीडब्ल्यूसी, श्री गुना नंद शुक्ला ने कहा कि राजस्थान में मिलेट्स आसानी से पैदा हो सकता है, लेकिन किसानों की आमदनी और मुनाफा बढ़ाया जाना चाहिए। इसके लिए रोडमैप में तीन बातों पर ध्यान देना चाहिए। पहले कि मिलेट्स को राज्य के मेनस्ट्रीम टूरिज्म का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनना चाहिए, मिलेट्स के शेल्फ लाईफ को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने और मिलैट्स के स्वाद पर भी विचार किया जाना चाहिए ताकि लोग और बच्चे इसे ज्याद पसंद करें।
इससे पहले स्वागत संबोधन फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल के अध्यक्ष और मंडावा होटल के सीएमडी, श्री रणधीर विक्रम सिंह द्वारा दिया गया था। वहीं फिक्की राजस्थान स्टेट काउंसिल के डायरेक्ट, श्री अतुल शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।