जीव का सनातन संबंधी भगवान: श्रीधरी दीदी

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वृंदावन विहार पत्रकार कॉलोनी रोड़ स्थित ‘प्रेम सत्संग भवन सदन’ में 18 मई से 26 मई तक आयोजित नौ दिवसीय विलक्षण दार्शनिक प्रवचन श्रंखला के प्रथम दिवस जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज की प्रचारिका सुश्री श्रीधरी दीदी ने श्रद्धालु श्रोताओं की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए बताया कि दिव्य भगवान का दिव्य अंश ‘आत्मा’ होने के कारण हमारा सनातन संबंध केवल भगवान से ही है और भगवत्प्राप्ति के लिए ही ये अमूल्य देवदुर्लभ मानव-देह हमें प्रदान किया गया है।


लेकिन अनादिकाल से अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाने के कारण और स्वयं को देह मानने के कारण ही हम संसार मे आसक्त हैं, उसी को अपना मानते हैं और कर्म-बंधन में बंधते चले जाते हैं। इसी के परिणामस्वरूप चौरासी लाख योनियों में भ्रमण करते हुये आज तक दु:ख भोग रहे हैं। इन दु:खों से छुटकारा पाने के लिये हमें भगवान के साथ अपने संबंध ज्ञान को दृढ़ करके उनके शरणागत होना होगा और शरणागत होने के लिये संसार की नश्वरता और असारता पर बार-बार विचार करके मन को वहाँ से विरक्त करना होगा। तत्पश्चात एक श्रोतिय-ब्रह्मनिष्ठ महापुरुष को गुरु रूप में वरण करके उनके द्वारा निर्दिष्ट साधना करनी होगी। इस प्रकार साधना द्वारा ही अंतःकरण शुद्ध होगा।
संयोजक शरद गुप्ता ने बताया कि आगे इसी प्रवचन श्रंखला में श्रीधरी दीदी जी द्वारा भक्ति मार्ग की विवेचना करते हुये कलियुग में सर्वसुगम सर्वसाध्य साधना भक्ति कैसे की जाय, इसका निरूपण किया जाएगा। प्रवचन प्रतिदिन साँय 6.00 बजे से 7.30 बजे तक आयोजित किए जा  रहे हैं। आज प्रवचन का प्रथम दिन था। प्रवचन के साथ-साथ सभी भक्तजन संकीर्तन के रस में भी सराबोर हो रहे हैं और रूपध्यान के माध्यम से साधना का अभ्यास कर रहे हैं।


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