जीवन की बूंदों से हार औंधी पड़ी है दुनिया कराहती कई दिलों के तार टूटे हैं कई तारे बन जगमगा रहे वह दर्द, वह तपिश सच्चाई की उन बेबस आँखों में जिनमें दिखाई देती थी कभी जिंदगी की खुशहाली चमका करत... Read more
बिहार के मुंगेर जिले के सिमरिया घाट गाँव में 23 सितंबर 1908 को जन्में महाकवि रामधारी सिंह दिनकर जी ने गद्य और पद्य दोनों ही विधाओं में श्रेष्ठ कार्य कर हिंदी भाषा को समृद्ध बनाने में अपना... Read more
वक्त के साथ वो गलियां, वो दरवाज़े बदल जाते हैं | कहाँ ढूँढे कोई , यादों के घरों को, यह तो चेहरे -दर-चेहरे वक्त के साथ बदल जाते हैं| हर एक का, हर एक से, निश्चित है समय | बीते व... Read more
ऐ मालिक! आज तेरी दुनिया लाचार खड़ी सोच समझ सब बेकार पड़ी! गाड़ी मोटर रुकी सब दुनिया बंदपड़ी जिंदगी जहाँ तहाँ वहीं रुक पड़ी! ऐ मालिक! तेरे रूप रंग से मानव ने खिलवाड़ किया! उसके अहंकार को ए तूने बह... Read more
मुलाक़ात अचानक तुम आ जाओ इतनी गाड़ीयां चलतीं हैं इस देश में.. कहीं से भी आ सकतें हो मेरे पास… कुछ दिन रहेंगे साथ इस घर में तुम्हें देखने की सुनने की इच्छा है गहरी… कुछ दिन रहना ज... Read more
“मजदूर का बोझ” अच्छा सुनो…! बोझ उठाए हुए मजदूर को देखा है..! आधे शरीर से झुक जाता है.. खुद से कई गुना अधिक होता है, पीठ पर लदी बोरी का वजन। पर ये भार तो बस वो भार है, जो सं... Read more
आप सभी को हनुमान जयंती की बधाई व शुभकामनाएं…. ?? राधे गोविन्द?? आज हनुमान जयंती के पावन पर्व पर आपको राष्ट्र भाषा हिंदी में स्वरचित हनुमान जी की प्रार्थना भेंट कर रहा हूँ… प्रतिद... Read more
वर्धमान से महावीर बचपन बीता राज महल में पलकर बने फकीर कठिन तपस्या करके जिसने बदली अपनी तकदीर। सभी इंद्रियों को वश में करके पाया जिसने केवल ज्ञान जीव मात्र की रक्षा हित ही... Read more
संकट के समय एक आम आदमी की पीड़ा और महामारी से लड़ने के हौसलों पर एक कविता ……. ——————————————... Read more
भरे पेट की भाषा और ख़ाली पेट की भाषा में बहुत फ़र्क होता है। ख़ाली पेट मरने वाला व्यक्ति मौत से नहीं डरता। ऐसे ही लोगों को जब सड़को पर अपने घर गांव के लिए सफ़र करते हुए देखा तो रहा नहीं गया। मैं... Read more