बिना दवा दे रहीं स्वस्थ जीवन शैली

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कारगर है थैरेपी उपचार- अमिता शृंगी

बिना दवा के सिफ़र् थैरेपी के ज़रिए लोगों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का बेहतर तरीक़े से उपचार कर उन्हें सकारात्मक जीवन जीने की राह दिखा रहीं अमिता शृंगी, साइक्लोजिस्ट से माही संदेश के प्रधान संपादक रोहित कृष्ण नंदन व ब्रांड मैनेजर निशु यादव की विशेष बातचीत।


जब बढ़े क़दम
जयपुर निवासी अमिता कहती हैं कि 24 घंटे में एक इंसान के मस्तिष्क में तक़रीबन 70000 से अधिक विचार आते हैं, इनमें से अधिक से अधिक 7 या 8 विचारों को हम कारगर रूप से अपने जीवन में पूर्ण रूप से क्रियान्वित कर पाते हैं। मेरी कोशिश रहती है कि मैं जीवन में अधिक से अधिक सकारात्मक रहकर मुस्कान बाँटू। मेरी नानी नलिनी उपाध्याय साहित्यकार थीं व दादाजी राजस्थान के मशहूर आईएएस अधिकारी मंगल बिहारी पांडेय व पिता डॉ. महेन्द्र कुमार श्रृंगी, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में विभागाध्यक्ष रहे थे। आज से 12 साल पहले जब मेरी माँ का देहांत हो गया था उस समय मैं डिप्रेशन और एंज़ायटी का शिकार थी और क़रीब एक साल तक स्वयं दवाइयाँ लेती थीं, उस कठिन समय में मैंने धीरे–धीरे अपने ऊपर काम किया व योग और मेडिटेशन शुरू किया, पढ़ाई आरंभ की और ख़ुद को व्यस्त रखना शुरू किया। जब मैंने साइकोलॉजी में एम.ए किया तब महसूस किया कि मानसिक समस्याओं का समाधान बिना दवाईयों के भी आसानी से किया जा सकता है।
ख़ुद का क्लीनिक किया आरंभ
अमिता कहती हैं कि पहले वो हॉस्पिटल्स में काम करती थीं, लेकिन वहाँ मरीज़ की वास्तविक समस्या सामने नहीं आ पाती थी, इसलिए उन्होंने महारानी फार्म, दुर्गापुरा पर वर्ष 2018 में ख़ुद का क्लीनिक आरंभ किया। वर्तमान में अमिता के पास 50 से अधिक थैरेपी हैं, इन थैरैपी के मिश्रण से वो अलग–अलग मरीज़ों का उनकी समस्याओं के अनुसार उपचार करती हैं, इसमें कॉग्निटिव बिहेवियर थैरेपी, जिसमें बिहेवियर को ऑब्ज़र्व किया जाता है, ड्रिल थेरेपी जिसमें रूट कौज यानी अंदरूनी वजह को जानने की कोशिश की जाती है। अब तक अमिता 8000 से अधिक मरीज़ों का बिना दवाईयों से सफ़ल उपचार कर चुकी हैं।
मशहूर हो रही कॉकटेल व कांस्य थाली थैरेपी
अमिता ने बताया कि कोविड के दौरान लोगों को डिप्रेशन और एंज़ाइटी की समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके चलते अधिकांश लोगों ने डिप्रेशन और एंज़ाइटी पिल लेना आरंभ कर दिया और यह उनकी आदत बन गया जो कि सेहत की दृष्टि से बहुत हानिकारक है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए हमने एंजाइटी, डिप्रेशन व ओसीडी जैसी बीमारियों से गुज़र रहे मरीज़ों का बिना किसी दवाई के योग व मेडिटेशन जैसी ऐक्टिविटीज़ के मिश्रण (कॉकटेल थैरेपी) से उपचार किया। इन्होंने हाल ही एक महिला जो 30 साल से दवाई ले रही थी, उनकी इस आदत को छुड़वाया। इसके साथ ही कांस्य थाली थैरेपी के माध्यम से भी शारीरिक व्याधियों का अंत किया जा सकता है।
बच्चों को माता–पिता मोबाइल से रखें दूर
आजकल माता–पिता व घर के अन्य सदस्य छोटे–छोटे बच्चों को मोबाइल पकड़ा देते हैं जो कि बहुत ग़लत है। हम अपनी सहूलियत के लिए ऐसा करते हैं ताकि हम अपना काम आसानी से करते रहें और बच्चा हमें परेशान न करे जो कि आगे चलकर बहुत ख़तरनाक होने वाला है, इस तरह हम अपने बच्चों के मस्तिष्क की सकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर रहे हैं। बच्चों का सकारात्मक मानसिक विकास होना बहुत महत्वपूर्ण है। बच्चों को प्यार से समझाएँ, उन्हें पारंपरिक खेल सिखायें, प्रकृति के नज़दीक ले जाकर उन्हें जीवन जीने का ख़ुशनुमा अन्दाज़ बतायें।
समाज सेवा में सक्रिय
योगा व जर्नल राइटिंग में अभिरुचि रखने वाली अमिता शृंगी ने कोरोना काल में लोगों को उचित मार्गदर्शन प्रदान किया। वर्ष 2022 में अमिता ने वृद्ध जनों के लिए सीनियर सिटीज़न क्लब बनाया है। इस क्लब में सीनियर सिटीज़न व विद्यार्थियों के लिए रविवार के दिन नि:शुल्क काउंसलिंग सत्र का आयोजन किया जाता है।


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