ईमानदारी की मिसाल बने नीलेश और गमेर

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7,50,000 ₹ जी हाँ ……..साढ़े सात लाख रुपये। अगर इतनी ही धनराशि आपको बैठे बिठाये मिल जाये तो आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी।

राह चलते एक बैग मिला जाये जिसमें साढ़े सात लाख रुपये हों। कहीं साढ़े सात लाख रुपये के ज़ेवरात पड़े मिल जायें ?…………तो क्या कीजियेगा। क्या ईश्वर का वरदान समझ कर सारा का सारा पैसे जेब में समेट कर रख लीजियेगा या फिर उस पैसे के असली मालिक या असली हकदार तक पहुंचने का प्रयास कीजियेगा।

तस्वीर राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले गमेर सिंह राणावत और नीलेश जांगिड़ की है। दोनों सोलर एनर्जी के विषय में यूट्यूब वीडियो बनाने का काम करते हैं।
अगस्त में दोनों ने मिल कर “डेल” कंपनी का एक लैपटॉप खरीदा था। कुछ ही दिनों में लैपटॉप की माइक खराब हो गया। इस विषय में 30 सितंबर को कंपनी में शिकायत दर्ज की गयी थी। डेल कम्पनी ने शिकायत का निवारण किया और लगभग एक महीने में हमें उन्हें कम्पनी द्वारा खराब लैपटॉप की जगह नया लैपटॉप दे दिया गया।

लेकिन कुछ दिनों पश्चात दोनों के साथ आश्चर्यजनक घटना घटी। उनके पते पर उन्हें एक पार्सल प्राप्त हुआ। उन्होंने खोल कर देखा तो उसमें “डेल” कम्पनी का एक नया लैपटॉप था जिसकी कीमत 154000 रुपये थी।
फिर कुछ ऐसा घटा जिसनें दोनो दोस्तों को आश्चर्य से भर दिया।

अगले कुछ दिनों में उन्हें ब्लू डार्ट कोरियर से एक एक कर के 4 और पार्सल प्राप्त हुये। उन्होंने चारों पैकेट खोले तो हर एक पैकेट में एक लैपटॉप मौजूद था और हर लैपटॉप की कीमत 1,54,000 रुपये थी।

यानि कुरियर कम्पनी उनके घर कुल 5 लैपटॉप डिलीवर कर चुकी थी जिनकी कुल कीमत 7,50,000 से अधिक थी।

दोनों समझ चुके थे के यह विशुद्ध रूप से कुरियर कम्पनी की गलती से हुया है। दोनों चाहते तो 7,50,000 का सामान डकार भी सकते थे।

लेकिन “ईमानदारी” आड़े आ गयी। ज़मीर आड़े आ गया। दोनों को लगा के अगर लैपटॉप अपने पास रख लेते हैं तो आज नहीं तो कल कंपनी को इसके बारे में पता चल जाता और इसका खामियाजा कुरियर वाले को भुगतना पड़ेगा।

नीलेश ने तुरंत डेल कम्पनी के अधिकारियों को ट्विटर और ईमेल के जरिये सम्पर्क किया। अधिकारियों और कुरियर कम्पनी ने अपनी गलती स्वीकारते हुये सभी लैपटॉप सधन्यवाद वापिस ले लिये।

साधारण से दिखने वाले इन दोनों युवकों के लिये 750000 की रकम कम नहीं थी। नीयत डोल सकती थी। मन मचल सकता था। लेकिन नहीं……ऐसा कुछ नहीं हुआ। जानते हैं क्यों ? क्यों  कि कहीं ना कहीं हमारे मन मस्तिष्क में ईमानदारी जीवित है।
………..जब अखबार में लाखों की चोरी या डकैती की खबर पढ़ें तो इन दो नौजवानों को याद कर तनिक मुस्कुरा दीजियेगा। क्योंकि यह नौजवान समाज रूपी सिक्के का दूसरा पहलू हैं …….और यह पहलू …..ईमानदारी का यह पक्ष इतना सुदृढ़ ……इतना सशक्त है के अल्पसंख्या में होते हुये भी हज़ारों बेईमानों और हरामखोरों पर भारी है।

ज़ारों बेईमानों और हरामखोरों पर भारी है।


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